मातृभूमि: माँ के समान पर निबंध | Essay on My Motherland in Hindi | Mathrubhumi par Nibandh

मातृभूमि:-माँ-के-समान-पर-निबंध

मातृभूमि: माँ के समान 

पर निबंध

"धरती माता तू बड़ी,

तेरे तै बड़े भगवान।।"

हर मानव अपनी मातृ-भूमि से अत्यधिक प्यार करता है। इसने हमें जन्म दिया। जिस तरह एक माँ अपने को कष्ट में रहकर अपने बच्चों को सभी प्रकार के सुख पहुंचाने की चेष्टा करती है, उसी प्रकार मातृ-भूमि भी अन्न-जल से हमारा पालन-पोषण करती है। यह हमारे लिए माँ के समान है कहा भी गया है कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है।

आज हमारे देश में मातृ-भूमि के प्रति सच्ची भावना का धीरे-धीरे हनन होता जा रहा हैं। आज मातृ-भूमि के नाम पर धरती को खन्ड़ो में विभाजित करके एक-दूसरे का खून बहाया जा रहा है। भ्रष्टाचार, प्रांतीयता, भाई-भतीजा वाद आदि ने मातृ-भूमि के ह्रदय को छलनी कर दिया है। मनुष्य को यह बात कतई ही नहीं भूलनी चाहिए कि जीते जी जो मातृ-भूमि उसे जननी की तरह पालतीं रही है। मृत्यु होने पर यही उसके पार्थिक शरीर को अपने अंदर समेट लेती हैं।

अतः हम सब का कर्तव्य है कि हम अपनी मातृ-भूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दें यदि आवश्यक हो तो हम अपने प्राणों की बाजी भी लगा दें।

"ऐसी मातृ-भूमि है मेरी

स्वर्ग लोक से भी प्यारी,

इसके पद कमलो पर मेरा

तन, मन, धन सब बलिहारी।"

 

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